मनिहारी गंगा घाट पर मत्स्य अंगुलिकाओं का किया गया पुनर्स्थापन
लगभग चार लाख मछली अंगुलिकाओं को नदी में छोड़ा गया।
बाबा हेचरी, मुजफ्फरपुर से लाई गईं मछली अंगुलिकाएं।
नदी पशुपालन जलीय कृषि का एक रूप है। गंगा नदी को शुद्ध और निर्मल बनाने के उद्देश्य से मत्स्य विभाग द्वारा रिवर रैंचिंग प्रोग्राम संचालित किया गया है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नदी में नाइट्रोजन युक्त प्रदूषण को कम करना और मछली पालन को बढ़ावा देना है। मछलियां जलीय पर्यावरण पर निर्भर करती हैं और जलचर पर्यावरण को संतुलित रखने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत चल रहे इस कार्यक्रम की शुरुआत 8 अक्टूबर 2021 को हुई थी। इस योजना के तहत विभिन्न प्रजातियों की मछलियों को नदियों से निकालकर हैचरी में उनके अंगुलिकाओं (छोटे बच्चों) को तैयार किया जाता है और फिर इन्हें नदियों में पुनः छोड़ा जाता है।
कार्यक्रम का उद्देश्य मछली उत्पादन और उत्पादकता को बढ़ाना, मत्स्य संसाधनों और जैव विविधता का संरक्षण करना, नदियों की गुणवत्ता में सुधार करना, और प्रदूषण को कम करना है।
संयुक्त मत्स्य निदेशक देवेंद्र नायक ने इस अवसर पर कहा कि मछलियों की घटती संख्या के कारण जलीय आहार श्रृंखला में संकट उत्पन्न हो गया है। दशकों पहले प्रति किलोमीटर 60-70 किलोग्राम मछली का उत्पादन होता था, जो अब घटकर मात्र 5-10 किलोग्राम प्रति किलोमीटर रह गया है।
जिला मत्स्य पदाधिकारी सनत कुमार सिंह ने बताया कि बिहार में गंगा और उसकी सहायक नदियों की कुल लंबाई लगभग 3200 किलोमीटर है। करीब 20 लाख मछुआ समुदाय अपनी आजीविका के लिए इन नदियों, कोल, और ढाव जैसे स्रोतों से मछलियों के शिकार पर निर्भर हैं। घटते मछली उत्पादन के कारण इन समुदायों की आजीविका पर संकट आ गया है। ऐसे में मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए यह योजना लागू की गई है।
इस मौके पर पूर्णिया प्रक्षेत्र के उप मत्स्य निदेशक शंभू कुमार राय, जिला परिषद सदस्य सुमति देवी, प्रखंड प्रमुख अनीता देवी, नगर पंचायत मुख्य पार्षद लाखो यादव, और उप मुख्य पार्षद शुभम पोद्दार समेत अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे। मत्स्य प्रसार पदाधिकारी राजेश कुमार, दीपक कुमार, अंशु भारती, आकृति कुमारी, पूजा कुमारी, अरुण कुमार, और रवि रंजन के साथ लक्षित समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुए।
















