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भारतीय रेलवे आज दुनिया का सबसे बड़े और आधुनिक रेल नेटवर्कों में से एक

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भारतीय रेलवे आज दुनिया का सबसे बड़े और आधुनिक रेल नेटवर्कों में से एक है। देश में ट्रेन, अंडरग्राउंड और ;यहां तक कि अंडरवॉटर ट्रेन भी रफ्तार भरती नजर आ रही हैं।  
अगर मेट्रो की बात करें तो भारत का मेट्रो नेटवर्क चीन और अमेरिका के बाद दुनिया में तीसरे नंबर पर आता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की पहली अंडरग्राउंड ट्रेन की शुरुआत कब और कहां हुई थी?
इसके बारे में किसने विचार किया और किसने इसे साकार किया? अगर नहीं तो कोई बात नहीं, अंडरग्राउंड ट्रेन को लेकर अपने सभी सवालों के जवाब यहां पढ़िए…
दुनिया की पहली अंडरग्राउंड ट्रेन लंदन में आज से 162 साल पहले चली थी। आज ही के‍ दिन यानी 10 जनवरी, 1863 को दुनिया की पहली अंडरग्राउंड ट्रेन लंदन में चलाई गई थी।
खास बात यह है कि इसके लिए 11 अलग-अलग लाइन बिछाई गई थीं। इन रेलवे लाइन के विक्टोरिया, सेंट्रल, मेट्रोपॉलिटन, जुबली और बेकरलू जैसे नाम रखे गए थे। इन लाइनों की पहचान इनके अलग-अलग रंग से होती थी।
पहली बार कहां से कहां चली थी अंडरग्राउंड ट्रेन?
लंदन में 9 जनवरी को पहली बार अंडरग्राउंड ट्रेन पैडिंगटन से फायरिंग डॉन स्ट्रीट स्टेशन के बीच यानी मेट्रोपॉलिटन लाइन पर चलाई गई थी। उस वक्त इसे अंडरग्राउंड ट्रेन नहीं,  ट्यूब ट्रेन कहा गया था। जबकि आज इसे मेट्रो, सब वे और रैपिड ट्रेन के नाम से जाना जाता है।
10 जनवरी यानी हरी झंडी दिखाने के बाद अगले दिन यह आम लोगों के लिए शुरू कर दी गई थी। पहले ही दिन अंडरग्राउंड ट्रेन में 40 हजार यात्रियों ने सफर किया था।
लंदन में ही क्यों चलाई गई थी अंडरग्राउंड ट्रेन?
लंदन में अंडरग्राउंड ट्रेन शुरू करने के पीछे वजह यह थी कि यहां की आबादी लगातार बढ़ रही थी। यूं तो अंडरग्राउंड ट्रेन के चलने से पहले भी शहर के चारों ओर रेलवे स्‍टेशन थे। फिर भी लोगों को सेंट्रल तक पहुंचने में परेशानी होती थी। उस वक्त भी ब्रिटेन की राजधानी लंदन में ही थी। हर दिन हजारों लोग कामकाज के लिए आते थे। ऐसे में यातायात बड़ी समस्या थी।
साल 1852 में इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एक कमेटी बनाई गई थी। कमिटी मेंबर्स ने रिसर्च के बाद अंडरग्राउंड ट्रेन बनाने का सुझाव दिया। उस वक्त के सबसे महंगे इंजीनियर सर जॉन फॉलर को अंडरग्राउंड ट्रेन चलाने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई थी।  इस काम को पूरा करने में 10 साल का वक्‍त लगा था।
लंदन की भीड़भाड़ और भागमभाग वाली जिंदगी में इस सेवा से एक बड़ी क्रांति आई। उस वक्‍त यह ट्रेन भाप से चलाई जाती थी। इसके लिए टनल में वेंटिलेशन की पूरी व्यवस्था की गई थी ताकि भाप आसानी से बाहर निकले सके। हालांकि, साल 1905 से अंडरग्राउंड ट्रेन बिजली से चलने लगीं।
भारत में कब चली अंडरग्राउंड ट्रेन?
जब लंदन में अंडरग्राउंड ट्रेन प्रॉपर रफ्तार भरने लगी। भारत सरकार ने भी नैरो गेज रेलवे लाइन के लिए जॉन फॉलर से सलाह ली थी। भारत में पहली अंडरग्राउंड ट्रेन 24 अक्टूबर 1984 को कोलकाता मेट्रो के तहत चलाई गई थी। यह ट्रेन दुम-दुम से टॉलीगंज के बीच 3.4 किलोमीटर लंबे सेक्शन में शुरू हुई थी।
कोलकाता मेट्रो भारत की पहली और एशिया की पांचवीं मेट्रो सेवा थी। इस ट्रेन में आठ डिब्‍बे थे और ये लाल रंग के हुआ करते थे। 
इसके बाद दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, लखनऊ और जयपुर समेत कई 23 शहरों में अंडरग्राउंड सेवा यानी मेट्रो की शुरुआत हुई।
 

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