इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने पहुंचे है। इस बीच दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग और टेक्नोलॉजी शेयरिंग पर चर्चा जारी है। ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली और अन्य रक्षा परियोजनाओं के लिए बड़े समझौते की संभावना है। इंडोनेशिया ने कॉन्फिडेंशियल क्लॉज पर सहमति व्यक्त की जो टेक्नोलॉजी चोरी को रोक सकेगा।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति देश के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के लिए भारत में पहुंच गए हैं। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच डिफेंस डील को लेकर भी बातचीत भी जारी है। भारत और इंडोनेशिया रक्षा सहयोग और टेक्नोलॉजी शेयरिंग के लिए एक रूपरेखा समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं। यह डिफेंस डील सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, एयर डिफेंस सिस्टम और पनडुब्बी निर्माण टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर जैसी कई बड़े प्रोजेक्ट के लिए रास्ता खोल सकता है।
ब्रह्मोस को लेकर होगा करार
हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में सूत्रों ने कहा कि बड़ा समझौता हाई लेवल टेक्नोलॉजी ट्रांसफर करने और हथियार सिस्टम के मिलकर उत्पादन के लिए एक विश्वसनीय और कानूनी आधार प्रदान कर सकता है। राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो के गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में चार दिवसीय यात्रा पर भारत आने पर विस्तृत चर्चा होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार पता चला है कि ब्रह्मोस सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के लिए चल रही चर्चाओं को इस बड़े समझौते के तहत तैयार किया जा सकता है क्योंकि इंडोनेशियाई पक्ष ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में रुचि व्यक्त की है। सरकार-से-सरकार के आधार पर रूस के लिए भी सुविधा की एक परत जुड़ जाएगी, जो ब्रह्मोस कार्यक्रम में बराबर का भागीदार रहा है।
कॉन्फिडेंशियल क्लॉज पर सहमति
ईटी को पता चला है कि इंडोनेशिया ने ब्रह्मोस मिसाइलों की खरीद के लिए रूसी और भारतीय दोनों पक्षों के एक कॉन्फिडेंशियल क्लॉज पर सहमति व्यक्त की है जो टेक्नोलॉजी की किसी भी चोरी को रोक देगा। सूत्रों ने बताया कि कम से कम तीन बड़ी परियोजनाओं पर चर्चा की जा रही है। इनमें ब्रह्मोस मिसाइल, प्राइवेट सेक्टर की कंपनी की तरफ से विकसित की जा रही वायु रक्षा प्रणाली और पनडुब्बी टेक्नोलॉजी में सहयोग शामिल हैं।
दोनों देशों के बीच जिस एयर डिफेंस सिस्टम पर संभावित सह-उत्पादन के लिए चर्चा की जा रही है, वह संभावित रूप से एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट भी हो सकता है। इसकी वजह है कि इसका उपयोग जमीन के साथ ही इंडोनेशियाई युद्धपोतों पर भी किया जा सकेगा।