हरतालिका तीज का पर्व मनिहारी में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया, जहां विवाहित महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए उपवास रखा। उन्होंने पारंपरिक सोलह श्रृंगार कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की।
पंडित जी ने इस अवसर पर व्रत के महत्व को बताते हुए कहा कि यह व्रत न केवल वैवाहिक सुख के लिए होता है, बल्कि दांपत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि माता पार्वती ने कठोर तपस्या से भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था, और यह व्रत उसी पुनर्मिलन का प्रतीक है। कुंवारी कन्याओं के लिए भी यह व्रत विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। पूरे आयोजन में महिलाओं ने हरे वस्त्र पहनकर मेंहदी रचाई और शिव-पार्वती की पूजा कर सुख, शांति, और समृद्धि की प्रार्थना की।
















