पश्चिम बंगाल से सटे हुए बिहार का कटिहार जिला पश्चिम बंगाली कल्चर से बहुत प्रभावित है । हालांकि यूं तो हमेशा से पलायन और आने-जाने का सिलसिला बंगाली समुदाय का कटिहार से रहा है । परंतु आज भी संस्कृति बची हुई है । कटिहार में तकरीबन शहरी क्षेत्र में 28000 बंगाली परिवार रह रहे हैं ग्रामीण क्षेत्र में 23000 परिवार का रहना हो रहा है । इनके रहने का छाप कटिहार के दुर्गा पूजा पर पड़ता है । यहां क्लब सिस्टम लोगों के बीच बंगाल से आए हुए कलाकारों के द्वारा पंडाल का निर्माण मूर्ति का निर्माण तथा अन्य सारी चीज प्रभावित करता है । तो वही बंगाली परिवार अपने कल्चर को नहीं भूल पा रही है । आज विजयादशमी के दिन माता का विदाई के समय बंगाली सुहागन महिलाएं माता को सिंदूर लगाकर विदा करती है और फिर वह अगले वर्ष आगमन के लिए भी बात करती है । कहा जाता है की बेटी की विदाई के समय में उसके पांव में अलता और मांग में सिंदूर देकर ही विदा करना चाहिए । जिससे उसका परिवार सुखी और समृद्ध रहे और बंगाली परिवार इसी मान्यता के साथ मां की विदाई करती है । इनके अलावा यह परिवार सुहागिन महिलाएं एक दूसरे को गाल व मांग में सिंदूर लगाकर समुदाय की महिलाएं विजयदशमी के दिन सिंदूर खेला करती हैं , आज क्योंकि यह मां दुर्गा की विदाई का दिन होता है । इस दिन महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर उनसे सौभाग्य का आशीर्वाद लेती हैं ।सिंदूर खेला, बंगाली संस्कृति का एक अहम हिस्सा है । यह एक धार्मिक अनुष्ठान होने के साथ-साथ सामुदायिक एकता और सौहार्द का प्रतीक भी है…….
बाइट — इन्द्रजीत सिन्हा
बाइट – मोसमी बर्नी
बाइट — अर्चना सेन गुप्ता
सिन्दूर लगाने ,पूजा अर्चना का विजुअल
















