सपा ने रालोद को 7 लोकसभा सीट का ऑफर किया था, मगर बात मुजफ्फरनगर सीट पर बिगड़ गई। रालोद इसे छोड़ना नहीं चाहती थी। यहीं से दोनों दलों के बीच ये खाई और बढ़ती गई। इसी मनमुटाव का BJP ने फायदा उठाया। इसमें जनता दल यूनाइटेड (JDU) नेता और बिहार के सीएम नीतीश कुमार और केसी त्यागी ने मिडिएटर की भूमिका निभाई। दोनों नेताओं ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से जयंत चौधरी की मुलाकात कराई।
इस दौरान राजनाथ सिंह ने चौधरी अजित सिंह से अपने पुराने रिश्तों का जिक्र किया। यही नहीं, जयंत को खुद का बेटे जैसा बताया। इसके बाद सिर्फ 10 दिन में ही गठबंधन की सारी चीजें फाइनल हो गईं। सूत्रों के अनुसार, रालोद को 2 लोकसभा सीट, 1 राज्यसभा और 1 एमएलसी सीट का ऑफर हुआ है।
12 फरवरी को छपरौली में चौधरी अजित सिंह की जयंती पर होने वाले कार्यक्रम में गठबंधन का आधिकारिक ऐलान हो सकता है। केसी त्यागी बोले- जयंत के अखिलेश से नाराज होते ही शुरू हो गई थी BJP की बातचीत
‘दैनिक भास्कर’ को केसी त्यागी ने बताया, “समाजवादी पार्टी मुजफ्फरनगर जिले की 2 लोकसभा सीटों पर अपने ही उम्मीदवार उतारने के फैसले पर अड़ गई थी। इससे जयंत चौधरी निराश हो गए। तभी से जयंत और भाजपा के बीच बातचीत का दौर शुरू हो गया। जयंत हमारे नेता चौधरी चरण सिंह के पौत्र रहे हैं। हम निरंतर उनके संपर्क में रहते हैं। लगातार मीटिंग होती रहती हैं। वो INDIA गठबंधन से काफी पहले से ही निराश चल रहे थे। हमने उन्हें गठबंधन से बाहर आने का रास्ता दिखाया।”
“जयंत समझदार हैं, उनका ये अच्छा कदम है”
जब राजनाथ सिंह और जयंत चौधरी की मीटिंग के बारे में सवाल पूछा तो त्यागी ने कहा, “हम एक ही कुनबे के हैं। ये कुनबा चौधरी चरण सिंह का है। चरण सिंह हम सबके नेता थे। जो काम कांग्रेस या हमारी सरकारों को करना चाहिए था, वो काम (भारत रत्न) आज मोदी सरकार ने किया है। जयंत चौधरी समझदार हैं, उनका ये अच्छा कदम है।”मुजफ्फरनगर सीट सिर्फ 6 हजार वोटों से हारे थे अजित सिंह
सपा ने रालोद को 7 सीटों का ऑफर दिया था। इसमें भी ये शर्त रख दी कि 3 सीटों मुजफ्फरनगर, कैराना और बिजनौर सीट पर प्रत्याशी सपा का और सिंबल रालोद का होगा। रालोद चाहती थी कि मुजफ्फरनगर सीट पर प्रत्याशी और सिंबल दोनों उनका हो। उसकी वजह ये है कि 2019 में चौधरी अजित सिंह मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट मात्र 6 हजार वोटों से हारे थे।
सपा से इस सीट के मजबूत दावेदार हरेंद्र मलिक हैं। इसे लेकर सपा-रालोद में मतभेद बढ़ते गए और बात गठबंधन टूटने तक पहुंच गई। भाजपा ने नीतीश कुमार और केसी त्यागी के जरिए इस मनमुटाव का फायदा उठाया।
छपरौली में 12 फरवरी को गठबंधन की घोषणा संभव
12 फरवरी को जयंत चौधरी के पिता चौधरी अजित सिंह की दूसरी जयंती है। बागपत जिले के छपरौली में उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित होनी है। माना जा रहा है कि इसी दिन राष्ट्रीय लोकदल एक बड़ा कार्यक्रम छपरौली में करके भाजपा से गठबंधन का ऐलान कर सकती है। इस दिन सीएम योगी संभल और मुजफ्फरनगर के शुक्रताल में मौजूद रहेंगे। माना जा रहा है कि वे छपरौली भी पहुंच सकते हैं।छपरौली से चारू चौधरी, बिजनौर से मलूक नागर लड़ सकते हैं चुनाव
सूत्रों के अनुसार, बागपत लोकसभा सीट पर जयंत चौधरी अपनी पत्नी चारू चौधरी को लड़ाने की तैयारी में हैं। बिजनौर सीट पर बसपा सांसद मलूक नागर पाला बदलकर रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। रालोद के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय को विधान परिषद भेजा जा सकता है।
राज्यसभा सीट पर दो नाम प्रमुख रूप से सामने आ रहे हैं। इसमें एक सोमपाल शास्त्री और दूसरे शाहिद सिद्दीकी हैं। शाहिद सिद्दीकी पूर्व सांसद हैं और वर्तमान में रालोद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। वहीं, सोमपाल शास्त्री पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं। जयंत चौधरी पहले से राज्यसभा सांसद हैं, इसलिए वे खुद कोई चुनाव नहीं लड़ेंगे।”कांग्रेस का नेतृत्व इंडिया गठबंधन पर कब्जा करना चाहता था”
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा, “इंडिया गठबंधन को बनाने में जनता दल यूनाइटेड की बड़ी भूमिका थी। 27 सितंबर 2022 को चौधरी देवीलाल की जयंती थी। उसमें देवगौड़ा, फारूख अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी, प्रकाश सिंह बादल, ओम प्रकाश चौटाला, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव और मैं मंच पर था।”
“उस समय तीसरे मोर्चे की बात चल रही थी। ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, के. चंद्रशेखर राव और अखिलेश यादव ‘गैर कांग्रेसी-गैर बीजेपी मोर्चा’ बना रहे थे। पहली बार हिसार की मीटिंग में इन नेताओं के सामने नीतीश कुमार ने कहा कि तीसरा मोर्चा बीजेपी की ही मदद करेगा। इसलिए पहला मोर्चा बनाओ और उसे कांग्रेस में शामिल करो। फिर हम दिल्ली में आकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिले।”
















