विधानसभा की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए सोमवार शाम पांच बजे प्रचार थम गया। अंतिम दिन सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। अब 20 नवंबर बुधवार को सुबह सात से शाम पांच बजे तक मतदान होगा। इससे पहले समाजवादी पार्टी ने चुनाव आयोग को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में सपा ने चुनाव आयोग से मांग की है कि मतदान के दौरान मुस्लिम महिलाओं की बुर्का हटाकर चेकिंग न की जाए।
सपा ने चनाव आयोग से मांग की है कि रिटर्निंग ऑफिसर, रिटर्निंग ऑफिसर/जिला मजिस्ट्रेट, जनरल ऑब्जर्वर और पुलिस अधिकारियों को लिखित आदेश जारी किया जाए कि 20 नवंबर 2024 (मतदान की तिथि) को “कोई भी पुलिसकर्मी किसी भी मतदाता की मतदाता पहचान-पत्र की जांच नहीं करेगा।”
पत्र में आगे कहा गया है कि मतदाता पहचान-पत्र की जांच करने का अधिकार मतदान अधिकारी के पास है। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान मतदान केंद्रों पर तैनात पुलिस अधिकारियों ने अपनी शक्ति और पद का दुरुपयोग किया और सपा समर्थकों, खासकर मुस्लिम महिला मतदाताओं को डराकर उनके बुर्के उतरवा दिए। इसके बाद मतदाताओं को मतदान केंद्रों से बिना मतदान किए लौटना पड़ा और इससे मतदान प्रभावित हुआ और मतदेय स्थलों पर मतदान प्रतिशत में गिरावट आई थी।
विधानसभा की नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए सोमवार शाम पांच बजे प्रचार थम गया। अंतिम दिन सभी राजनीतिक दलों ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। अब 20 नवंबर बुधवार को सुबह सात से शाम पांच बजे तक मतदान होगा। उपचुनाव में करीब 34 लाख मतदाता 90 प्रत्याशियों की किस्मत का निर्णय करेंगे। मतगणना 23 नवंबर को होगी।
भाजपा और सपा की प्रतिष्ठा दांव पर
उपचुनाव में खासतौर से सत्ताधारी भाजपा और मुख्य विपक्षी दल सपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। विभिन्न कारणों से रिक्त हुईं विधानसभा की नौ सीटों के उपचुनाव के लिए लिए 18 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की गई थी। अधिसूचना भले ही एक माह पहले जारी हुई थी लेकिन इन सीटों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी दल कई माह पहले से ही सक्रिय हो गए थे। उपचुनाव में भाजपा और सपा की प्रतिष्ठा दांव पर होगी।
उपचुनाव वाली नौ सीटों के नतीजे से सरकार के बनने-बिगड़ने पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है लेकिन लोकसभा के आम चुनाव के बाद हो रहे उपचुनाव के नतीजों से निकलने वाले संदेश के बड़े सियासी मायने होंगे। लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस के आइएनडीआइए गठबंधन से एनडीए को बड़ा झटका लगने के बाद उपचुनाव की कमान खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभालते हुए मंत्रियों को अलग-अलग सीटों की जिम्मेदारी जुलाई में ही सौंप दी थी। भाजपा ने जहां खुद आठ सीटों पर प्रत्याशी खड़े किए हैं, वहीं मीरापुर सीट पर एनडीए के सहयोगी रालोद का उम्मीदवार मैदान में है। चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा ने जहां विकास और हिंदुत्व के एजेंडे पर भरोसा जताया, वहीं सपा ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) गठजोड़ पर ही अपना जोर लगाया।