एसीजीएम रेलवे विकाश कुमार सिंह ने रेलवे न्यायालय में लंबित वाद संख्या सी टू – 1486/2015 का सोमवार को निष्पादन करते हुए दोषी गणेश भगत को एक वर्ष की कारावास की सजा सुनाई है। इस संबंध में अभियोजन अधिकारी भूपेंद्र कुमार जाटव ने जानकारी देते हुए बताया कि अभियुक्त के विरुद्ध आरपीएफ पोस्ट पूर्णिया में रेलवे के गेट नंबर केजे 64 के बूम बैरियर को अपने टेंपो से टक्कर मारकर तोड़ने और रेल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में रेलवे एक्ट 160 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया था। जिनकी शिकायत चांदनी कुमारी ने किया था। जिस दौरान फारबिसगंज स्टेशन मास्टर ने अपने स्टेटमेंट में कहा था कि ट्रेन नंबर 55764 का परिचालन भी बाधित हुआ था। वही यह मुकदमा रेलवे न्यायालय में लगभग 9 वर्ष तक चला । जिसमें अभियोजन की और से कुल 10 गवाही हुई थी। जिसमें सभी गवाहों ने घटना का पूर्ण समर्थन किया है और न्यायालय ने भी पाया कि अभियुक्त ने रोड ट्रैफिक को बंद करने के लिए रेल प्रशासन द्वारा लगाए गए लेबल क्रॉसिंग को तोड़कर रेलवे राजस्व का नुकसान किया है। जिस दौरान एसीजीएम रेलवे विकाश कुमार सिंह ने अभियुक्त को दोषी पाते हुए अभियुक्त के लंबित वाद को 9 वर्षों बाद ट्रायल पूरा करते हुए एक वर्ष की सजा सुनाई है। अभियोजन अधिकारी श्री जाटव ने बताया कि रेलवे का यह काफी पुराना लंबित मुकदमा था। जिसके निष्पादन हेतु उनके उपर काफी दबाव था। परन्तु अपरिहार्य कारणों से यह मुकदमा न्यायालय में काफी लंबा चला और आज इसका सफलतापूर्वक निष्पादन से लोगों को एक सबक लेना चाहिएं की रेलवे के क्रॉसिंग गेट को बंद रहने पर अंदर से क्रॉस कर नहीं जाना चाहिएं। ये कानूनन अपराध तो है ही साथ में इसमें आपको जेल भी जाना पर सकता है और इससे इससे आपकी जानमाल का भी खतरा बना रहता है। इसलिए लोगों से अनुरोध है कि रेलवे के नियमों का पालन करे और रेलवे गेट को देखकर ही पार करे और सुरक्षित रहे क्योंकि सावधानी हटी कि दुर्घटना घटी।
















