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अस्तित्व की लड़ाई : बिना साफ हुए दिल्ली में सीवेज से फूल रही यमुना की सांस, NGT की ट्रीटमैंट पर रिपोर्ट दाखिल

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दिल्ली से निकलने वाले सीवेज की तुलना में यहां इसे शोधित करने की क्षमता कम है। बगैर साफ किए सीवेज सीधे यमुना में मिल रहा है। इसकी मात्रा करीब 187.82 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) है। इसका खुलासा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट में हुआ है। बोर्ड ने यह रिपोर्ट राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी है। यमुना की हालत दिन प्रति दिन खराब हो रही है। निरीक्षण के बाद एनजीटी को रिपोर्ट में कई खामियां मिली हैं। इस पर सलाह देते हुए एनजीटी ने दो हफ्ते के भीतर सीपीसीबी और दिल्ली जल बोर्ड को नई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में अनुमानित सीवेज उत्पादन 792 एमजीडी है, जबकि यहां लगे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की क्षमता केवल 712 एमजीडी है। इसमें से अभी 604.18 एमजीडी का ही शोधन हो रहा है। दूसरी तरफ रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर 2024 खत्म होने तक एसटीपी की स्थापित क्षमता 814 एमजीडी होने का अनुमान है।रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में चल रहे एसटीपी अपनी पूरी क्षमता पर काम भी नहीं कर रहे हैं। 375.4 एमजीडी क्षमता वाले 18 एसटीपी ही जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) और कुल निलंबित ठोस (टीएसएस) के डिजाइन किए गए मापदंडों पर काम कर रहे हैं। वहीं, 497.16 एमजीडी की कुल क्षमता वाले 22 एसटीपी को बीओडी और टीएसएस के लिए डिजाइन किए गए मापदंडों पर विकसित या उन्हें नया बनाया जा रहा है। इसमें कहा कि 62.66 एमजीडी की क्षमता वाले शेष एसटीपी प्रस्ताव चरण में हैं।

दूसरी तरफ नजफगढ़ नाले के छोटे-छोटे शोधन प्लांट लगने हैं। इस तरह के 40 प्लांट की क्षमता 92 एमजीडी होगी। अदालत यमुना नदी के किनारे दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) की तरफ से स्थापित एसटीपी के खराब प्रदर्शन से जुड़े मामले की जांच कर रहा है। अदालत ने कहा डीजेबी की रिपोर्ट में फीकल कोलीफॉर्म के संदर्भ में एसटीपी के उपचारित अपशिष्टों की विश्लेषण रिपोर्ट का भी खुलासा नहीं किया है। ऐसे में अदालत ने सीपीसीबी और डीजेबी को निर्देश किया कि वे उपरोक्त सुझावों को ध्यान में रखते हुए दो हफ्ते के अंदर आगे की रिपोर्ट दाखिल करें।एनजीटी ने रिपोर्ट में पाईं खामियां
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा, सीपीसीबी की 5 अगस्त 2024 को दायर की थी। इसमें 38 एसटीपी के प्रदर्शन के बारे में बताया था। वहीं, सीपीसीबी की हालिया रिपोर्ट और कार्रवाई रिपोर्ट की एक साथ जांच की है। इसमें कई खामियां सामने आई हैं। डीजेबी या इसे संचालित करने वाली निष्पादन एजेंसी और सीपीसीबी की तरफ से कमियों को जल्द दूर करना चाहिए। साथ ही, पीठ के सुझाव पर अमल करना चाहिए। पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।

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