पंजाब के अलग-अलग जिलों और शहरों में Christmas के त्योहार पर शोभायात्राओं और संध्या फेरी का आयोजन हो रहा है. इनमें हजारों-लाखों लोग हिस्सा ले रहे हैं. लोग इस बात से हैरान हैं कि भारत के जिस राज्य में ईसाई धर्म की आबादी सबसे कम मानी जाती है, उस राज्य में क्रिसमस का त्योहार इतने जोर-शोर से कैसे मनाया जा रहा है? वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, पंजाब में ईसाई धर्म की आबादी सिर्फ 1.6 प्रतिशत थी. और उस समय पंजाब में कभी भी क्रिसमस का त्योहार इतने बड़े पैमाने पर नहीं मनाया जाता था. लेकिन आज पंजाब बिल्कुल बदला हुआ नजर आ रहा है. भारत में कुल तीन राज्य ऐसे हैं, जो ईसाई बहुल हैं. इनमें नगालैंड में 87.9 पर्सेट, मिजोरम में 87.2 पर्सेट और मेघालय में 74.6 पर्सेट आबादी ईसाई धर्म के लोगों की है. उत्तर पूर्व के बाद गोवा में सबसे ज्यादा 25.1 पर्सेट, केरल में 18.4 पर्सेट, तमिलनाडु में 6.1 पसेंट और झारखंड में 4.3 पर्सेट लोग ईसाई धर्म से हैं. आबादी के हिसाब से क्रिसमस के त्योहार की ज्यादा चमक इन राज्यों में होनी चाहिए लेकिन अभी इसका उल्टा हो रहा है. जिस पंजाब में सिर्फ 1.6 प्रतिशत आबादी ईसाई धर्म की मानी जाती है, वहां सबसे ज्यादा कार्यक्रम हो रहे हैं. पंजाब में इस जश्न को सिख धर्म की परंपरा के अनुसार मनाया जा रहा है, जिसमें संध्या फेरी और शोभायात्राएं निकाल कर लोगों को ये बताया जा रहा है कि दुनिया में जब पाप बढ़ रहे थे तब उन पापों को खत्म करने के लिए क्रिसमस के दिन ईसा मसीह का जन्म हुआ था और वो मुक्ति दाता थे.
सिखों के धर्म परिवर्तन कारण क्या? अब सवाल उठता है कि क्या इसके पीछे सिखों का धर्म परिवर्तन बड़ा कारण है? दरअसल, लगभग दो साल पहले 16 नवंबर 2022 को आज तक के खास शो ‘ब्लैक एंड व्हाइट’ में आपको एक रिपोर्ट दिखाई गई थी, जिसमें पंजाब के लोग खुद ये आरोप लगा रहे थे कि वहां ईसाई मिशनरी बड़े स्तर पर लोगों का धर्म परिवर्तन करा रही हैं. ईसाई मिशनरी ईसाई धर्म से जुड़ी उन संस्थाओं और लोगों को कहा जाता है, जो अपने धर्म का प्रचार प्रसार करती हैं. लेकिन सिख धर्म से जुड़े संगठनों का आरोप है कि ये मिशनरी पंजाब के सैकड़ों गांवों में धर्म परिवर्तन के लिए कई तरह के अभियान चला रही हैं. और इसमें अलग-अलग पादरी गांवों में घूम घूमकर लोगों को ये बताते हैं कि कैसे उनके प्रार्थना करने से लोगों की बीमारियां ठीक हो सकती हैं और कैसे ईसाई धर्म लोगों का कल्याण कर सकता है. अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स और निजी संस्थाओं द्वारा कराए गए सर्वे बताते हैं कि पंजाब में धर्म परिवर्तन के कारण ईसाई धर्म की आबादी में कई गुना वृद्धि हुई है. AAP की सरकार पर लगते रहे हैं आरोप वर्ष 2011 में पंजाब में ईसाई धर्म की कुल आबादी 1.6 प्रतिशत थी लेकिन पिछले लगभग 13 वर्षों में से 10 से 15 प्रतिशत तक पहुंच गई है. बीजेपी नेता आरोप लगाते हैं कि जब से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार आई है, तब से सिख समुदाय में निम्न वर्ग के लोगों ने धर्म परिवर्तन करके ईसाई धर्म को अपनाया है लेकिन आम आदमी पार्टी इन आरोपों से इनकार करती है.
‘ब्लैक एंड व्हाइट’ की दो साल पुरानी रिपोर्ट में पहले ही बता दिया गया था कि पंजाब में धर्म की SALE लगी हुई है और वहां पैसे और दूसरे लालच देकर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. आज जब पंजाब में धर्म परिवर्तन को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं, तब सिखों के नौवें गुरु- गुरु तेग बहादुर की शहादत के बारे में भी जानना जरूरी है. गुरु तेग बहादुर ने धर्म परिवर्तन का किया था विरोध गुरु तेग बहादुर की हत्या मुगल शासक औरंगजेब ने कराई थी क्योंकि औरंगजेब इस बात से काफी क्रोध में था कि उसके सैनिकों द्वारा कई यातनाएं देने के बाद भी गुरु तेग बहादुर इस्लाम को अपनाने के लिए तैयार नहीं हुए थे और वो कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का विरोध कर रहे थे. लेकिन आज उन्हीं के पंजाब में लोगों पर पैसे और जमीन के लालच में अपना धर्म परिवर्तन करने के आरोप लग रहे हैं. भारत में दिवाली के बाद सबसे ज्यादा लोग क्रिसमस के त्योहार को मनाते हैं
‘ब्लैक एंड व्हाइट’ की दो साल पुरानी रिपोर्ट में पहले ही बता दिया गया था कि पंजाब में धर्म की SALE लगी हुई है और वहां पैसे और दूसरे लालच देकर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. आज जब पंजाब में धर्म परिवर्तन को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं, तब सिखों के नौवें गुरु- गुरु तेग बहादुर की शहादत के बारे में भी जानना जरूरी है. गुरु तेग बहादुर ने धर्म परिवर्तन का किया था विरोध गुरु तेग बहादुर की हत्या मुगल शासक औरंगजेब ने कराई थी क्योंकि औरंगजेब इस बात से काफी क्रोध में था कि उसके सैनिकों द्वारा कई यातनाएं देने के बाद भी गुरु तेग बहादुर इ
















