देश में हिंदुओं की घटती जनसंख्या दर से चिंतित संत समाज प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में गहन चिंतन मनन के बाद भविष्य का रोडमैप तय करेगा। इसमें यह तय होगा कि कैसे हिंदू समाज को कम से कम दो से तीन बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इसके साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों पर इससे संबंधित नीति बनाने के लिए दबाव डाला जाएगा।
विशेष रूप से दक्षिण व पूर्वोतर के संतों को आमंत्रित किया
यह विषय इस बार के महाकुंभ में होने वाले संत सम्मेलन और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के मार्गदर्शक मंडल व प्रबंध समिति की बैठक में प्रमुख होगा। इन अहम बैठकों के लिए विहिप ने विशेष रूप से दक्षिण व पूर्वोतर के संतों को आमंत्रित किया है। यह अभियान हिंदू समाज के लिए इसलिए भी अहम है, क्योंकि हाल ही में आई प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की रिपोर्ट के अनुसार देश में 1950 से 2015 के बीच हिंदुओं की आबादी का हिस्सा 7.82 प्रतिशत कम हुआ है। इसी दौरान मुस्लिम आबादी का हिस्सा 43.15 प्रतिशत तक बढ़ा है।
हिंदुओं की घटती जन्मदर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने भी चिंता जताई है। उन्होंने वैज्ञानिक आधार पर कहा कि जनसंख्या वृद्धि दर 2.1 रिप्लेसमेंट रेशियो होनी चाहिए, यदि यह इससे कम हुई तो समाज के लिए बड़ा खतरा है। उनके अनुसार, हर हिंदू दंपती के दो से तीन बच्चे होने चाहिए।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर बर्बरता का मुद्दा भी उठेगा
महाकुंभ में विहिप की केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक 24 जनवरी को होगी, जबकि 25 व 26 जनवरी को मार्गदर्शक मंडल की बैठक है। सात व आठ फरवरी को केंद्रीय प्रबंध समिति की बैठक है। बैठक में मुख्य रूप से अनुसूचित जाति व जनजाति बहुल क्षेत्रों में संतों के प्रवास, रात्रि विश्राम, सह भोज के साथ अन्य कार्यक्रम तय होंगे। साथ ही संगठन की आगामी वर्षों की रणनीति के साथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर बर्बरता समेत देश-विदेश की ज्वलंत समस्याओं पर भी चर्चा होगी।
टीडीपी के अध्यक्ष भी विषय के समर्थन में एनडीए के सहयोगी दल टीडीपी के अध्यक्ष व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए बड़े परिवारों को प्रोत्साहन देने और पुराने जनसंख्या-रोधी उपायों को पलटने के लिए कानून बनाने पर विचार करने की बात कही है।
















