महाराष्ट्र में एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी हत्याकांड मामले में गिरफ्तार 26 आरोपियों को मुंबई की विशेष मकोका कोर्ट में पेश किया गया. सुनवाई के दौरान इन आरोपियों में से एक नितिन गौतम सप्रे ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए. वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बोलते हुए सप्रे ने दावा किया कि उसे न्यायिक हिरासत से बोरीवली पुलिस स्टेशन ले जाया गया और उनसे जबरन इकबालिया बयान दिलवाया गया.
सप्रे ने आगे आरोप लगाया, “पुलिस ने धमकी दी कि अगर उसने इकबालिया बयान देने से मना कर दिया तो वे उसके परिवार को भी मामले में फंसा देंगे.” उसने कोर्ट को बताया, “मुझ पर इकबालिया बयान देने का दबाव बनाया गया और पुलिस ने धमकी दी कि अगर मैंने सहयोग नहीं किया तो मेरे परिवार को गिरफ्तार कर लिया जाएगा.”
‘बयान वापस लेने के लिए दाखिल करेंगे अर्जी’
नितिन गौतम सप्रे ने उस समय अपने दिए इकबालिया बयान को वापस लेने की इक्छा जताई और जेल से कोर्ट में अर्जी दाखिल करने की भी तैयारी कर ली है. सप्रे के वकील अजिंक्य मधुकर मिर्गल और ओमकार इनामदार ने पुष्टि की कि वे उनके बयान को वापस लेने के लिए अर्जी दाखिल करेंगे.
एडवोकेट मिर्गल ने मामले के बारे में बात करते हुए बताया कि उनके क्लाइंट सप्रे ने ऐसा दावा किया है, “उसको मजिस्ट्रेट के सामने यह कबूल करने के लिए धमकाया गया था कि वह अनमोल बिश्नोई के साथ संपर्क में था और उसने मामले में दो आरोपियों को शरण दी थी. उसे बताया गया कि अगर उसने ऐसा नहीं किया तो उसके पूरे परिवार को मामले में घसीटा जाएगा.
नितिन गौतम सप्रे पर क्या है आरोप?
बता दें की सप्रे पर आरोप है कि कथित तौर पर वांटेड आरोपी शुभम लोनकर ने बाबा सिद्दीकी की हत्या को अंजाम देने के लिए उसे संपर्क किया था. इसके अलावा अपने गैंग मेंबर राम कनौजिया के साथ मिलकर सप्रे पर हत्या को अंजाम देने के लिए रेकी करने का आरोप है. हालांकि, सिद्दीकी के राजनीतिक कद को जानते हुए, उसने इस काम के लिए 50-50 लाख रुपये मांगे. जब लोनकर इतने पैसों की मांगों को पूरा करने में विफल रहा, तो उसने कथित तौर पर हत्या को अंजाम देने के लिए उत्तर प्रदेश के एक गिरोह को काम पर रखा.