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महायुति में फिर शुरू हुई तकरार, एकनाथ शिंदे ‘कोपभवन’ में, जानिए अब क्यों नाराज हुए महाराष्ट्र के डेप्युटी CM

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महाराष्ट्र की महायुति सरकार में पालक मंत्री पद के बंटवारे को लेकर तकरार बढ़ गई है। पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे रायगढ़ और नासिक जिलों में एनसीपी और बीजेपी के मंत्री प्रभारी बनने से नाराज हैं। शिंदे की नाराजगी को देखते हुए सरकार ने इन नियुक्तियों पर रोक लगाई है।
महाराष्ट्र की महायुति में महायुति में पालक मंत्री पद को लेकर तकरार शुरू हो गया है। सीएम फडणवीस पालक मंत्री की घोषणा कर दाओस चले गए और सरकार में एक बार फिर रूठने-मनाने का दौर शुरू हो गया है है। पूर्व सीएम सीएम एकनाथ शिंदे एक बार फिर कोपभवन में चले गए हैं। जिलों के पालक मंत्री में बंटवारे से डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नाखुश हैं। रायगढ़ में एनसीपी और नासिक में बीजेपी के मंत्री को प्रभारी बनाया गया हैं। इन दो जिलों पर शिंदे सेना ने दावेदारी की थी।
नाराज एकनाथ शिंदे को मनाने चंद्रशेखर बावनकुले और गिरीश महाजन सतारा पहुंचे। नाराजगी की खबर के बाद सरकार ने इन दोनों जिलों में प्रभारी मंत्री के कार्यभार संभालने पर रोक लगा दी है। इस फैसले पर एनसीपी और बीजेपी के नेता भड़क गए हैं।
नहीं माने एकनाथ शिंदे
एनसीपी नेता अदिति तटकरे को रायगढ़ और बीजेपी नेता गिरीश महाजन को नासिक का गार्डियन मिनिस्टर (पालक मंत्री) बनाया गया था। शिवसेना ने इन नियुक्तियों पर आपत्ति जताई थी। एकनाथ शिंदे ने रायगढ़ का प्रभार भरत गोगावले को देने की सिफारिश की थी। बीजेपी ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे को मुंबई और ठाणे का पालक मंत्री बनाकर खुश करने की कोशिश की, मगर वह नहीं माने।
क्या होते हैं पालक मंत्री?
पालक मंत्री के पास जिलों के विकास कार्य की निगरानी के अलावा संवैधानिक जिम्मेदारी भी होती है। जिले की सभी विकास योजनाओं में उसकी भागीदारी होती है। साथ ही, गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस समेत राजकीय कार्यक्रमों के मौके पर उन्हें सरकार की तरफ से प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलता है। शिवसेना का कहना है कि पालक मंत्री के नियुक्ति में पारदर्शिता और समानता रखी जाए।

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