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दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में एक भारत का बजट आज, 10 आंकड़ों पर है बाजार की नजर

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दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल भारत का बजट आ रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपना लगातार आठवां बजट पेश कर रही हैं। इस बजट में सभी की निगाहें मध्यम वर्ग के लिए बहुप्रतीक्षित कर राहत पर होंगी। सीतारमण ने 2019 में अपने पहले बजट में चमड़े के ब्रीफकेस को बही-खाते से बदल दिया था। उसके बाद इसे टैबलेट का इस्तेमाल कर पेपरलेस कर दिया गया। इस साल का बजट भी पिछले तीन सालों की तरह कागज रहित होगा।

आयकर में छूट का दायरा बढ़ाने के अलावे वर्ष 2025-26 के केंद्रीय बजट के इन 10 आंकड़ों पर भी बाजार की नजर बनी हुई है। आइए इनके बारे में जानें।
1. राजकोषीय घाटा
चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2024 से मार्च 2025 या वित्त वर्ष 25) के लिए बजट में राजकोषीय घाटा, जो सरकारी व्यय और आय के बीच का अंतर है, सकल घरेलू उत्पाद का 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। सरकार रोडमैप के अनुसार, वित्त वर्ष 26 में घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य है। बाजार वित्त वर्ष 26 के बजट में घाटे के आंकड़ों पर उत्सुकता से नजर रखे हुए है।

2. पूंजीगत व्यय
इस वित्त वर्ष के लिए सरकार का नियोजित पूंजीगत व्यय 11.1 लाख करोड़ रुपये है। हालांकि, लोकसभा चुनावों के कारण पहले चार महीनों में धीमी सरकारी खर्च की वजह से पूंजीगत व्यय  में देरी हुई। हालांकि, चालू वित्त वर्ष के बचे महीनों में इसमें तेजी आने की उम्मीद है। वित्त वर्ष 2026 के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में पूंजीगत व्यय की गति जारी रहने की उम्मीद है।

3. ऋणों का रोडमैप
वित्त मंत्री ने अपने 2024-25 के बजट भाषण में कहा था कि 2026-27 से राजकोषीय नीति का प्रयास राजकोषीय घाटे प्रबंधित करने पर रहेगा, जिससे जीडीपी में सरकार के ऋण का प्रतिशत कम हो। बाजार बजट में ऋणों के रोडमैप पर बारीकी से नजर रखेगा, ताकि यह देखा जा सके कि वित्त मंत्री कब सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी को 60 प्रतिशत के लक्ष्य तक ला पाती हैं। 2024 में सामान्य सरकारी ऋण-जीडीपी अनुपात 85 प्रतिशत था, जिसमें केंद्र सरकार का 57 प्रतिशत ऋण शामिल था।

4. उधार
वित्त वर्ष 2025 में सरकार का सकल उधार बजट 14.01 लाख करोड़ रुपये था। सरकार अपने राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए बाजार से उधार लेती है। उधारी के आंकड़ों पर बाजार की नजर रहेगी, खास तौर पर वित्त वर्ष 2026 में आरबीआई से कम लाभांश मिलने के बाद जबकि वित्त वर्ष 2025 में यह 2.11 लाख करोड़ रुपये था।

5. कर राजस्व
2024-25 के बजट में सकल कर राजस्व 38.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था, जो वित्त वर्ष 2024 की तुलना में 11.72 प्रतिशत अधिक है। इसमें प्रत्यक्ष करों (व्यक्तिगत आयकर + कॉर्पोरेट कर) से 22.07 लाख करोड़ रुपये और अप्रत्यक्ष करों (सीमा शुल्क + उत्पाद शुल्क + जीएसटी) से 16.33 लाख करोड़ रुपये आने का अनुमान है।

6. जीएसटी
2024-25 में वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 11 प्रतिशत बढ़कर 10.62 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2026 के जीएसटी राजस्व अनुमानों पर नजर रखी जाएगी क्योंकि चालू वित्त वर्ष में पिछले तीन महीनों में राजस्व वृद्धि धीमी रही है।

7. नॉमिनल जीडीपी
वित्त वर्ष 2025 में भारत की नॉमिनल जीडीपी वृद्धि (वास्तविक जीडीपी प्लस मुद्रास्फीति) 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि एनएसओ द्वारा अनुमानित वास्तविक जीडीपी वृद्धि 6.4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। बजट में वित्त वर्ष 2026 के नॉमिनल जीडीपी वृद्धि अनुमानों से अगले वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति कैसी रहेगी, इसका अनुमान लगाया जा सकेगा।

8. लाभांश
सरकार ने वित्त वर्ष 2025 में आरबीआई और वित्तीय संस्थानों से 2.33 लाख करोड़ रुपये और सीपीएसई से 56,260 करोड़ रुपये लाभांश के रूप में मिलने का अनुमान लगाया है। वित्त वर्ष 2026 के बजट अनुमानों में इन दो प्रमुख गैर-कर राजस्व संख्याओं पर ध्यान दिया जाएगा।

9. विनिवेश
‘विविध पूंजी प्राप्तियों में जिसमें विनिवेश और परिसंपत्ति मुद्रीकरण से प्राप्त आय शामिल होता है। वित्त वर्ष 2025 के बजट में इस मद से आय 50,000 करोड़ रुपये आंकी गई थी। वित्त वर्ष 2026 के बजट में इस मद से सरकार आमदनी का क्या लक्ष्य रखती है, उस आंकड़े से वाले समय के लिए एक व्यापक रोडमैप तैयार होगा।

10. सामाजिक योजनाओं पर खर्च
बाजार नरेगा जैसी प्रमुख योजनाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर भी खर्च पर ध्यान बनाए हुए हैं, क्योंकि अर्थव्यवस्था में गति इन्ही आंकड़ों से तय होती है। देश के आम लोगों की माली हालत जैसे-जैसे सुधरती है, अर्थव्यवस्था भी उसी अनुपात में आगे बढ़ता है।

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