देश के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए देश के शीर्ष 50 पर्यटन स्थलों को विकसित किया जाएगा और बौद्ध धर्म से जुड़े स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। होमस्टे को बढ़ावा देने के लिए मुद्रा लोन की सुविधा का विस्तार किया जाएगा। इस आम पर्यटकों को पर्यटन स्थलों में स्थित घरों पर रहने और महंगे होटलों का अच्छा विकल्प उपलब्ध होगा। पर्यटन को रोजगार-आधारित विकास का प्रमुख चालक बनाने के लिए ये फैसला लिया गया। इन स्थलों पर आवश्यक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए जमीन राज्य सरकारें उपलब्ध कराएंगी। इन पर्यटन स्थलों पर स्थित होटलों को हार्मोनाइज्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर मास्टर लिस्ट (एचएमएल) में शामिल किया जाएगा, जिससे उन्हें वित्तीय सहायता और विकास संबंधी सुविधाएं मिल सकेंगी। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी और यात्रा अनुभव को और बेहतर व सुलभ बनाया जा सकेगा। पर्यटन स्थलों के प्रबंधन में अच्छा प्रदर्शन करने वाले राज्यों को प्रदर्शन-आधारित प्रोत्साहन दिया जाएगा।
10% है भारत में पर्यटन क्षेत्र की वार्षिक विकास दर
बोध गया, सारनाथ जैसे पर्यटक स्थलों पर बढ़ेंगी सुविधाएं
बुद्ध सर्किट विकसित होने से उत्तर प्रदेश के सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, बिहार के बोध गया, राजगीर, वैशाली, एमपी के सांची, महाराष्ट्र के अमरावती, तेलंगाना के नागार्जुनकोंडा जैसे शहर आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील होंगे। पर्यटन आधारित रोजगार को बढ़ावा मिलेगा। जापान, वियतनाम, थाईलैंड, श्रीलंका, इंडोनेशिया, मलेशिया, लाओस, सिंगापुर आदि बौद्ध धर्म मानने वाले देशों से लाखों की संख्या में लोग हर साल भारत आकर बौद्ध स्थलों के दर्शन करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सरलीकृत ई-वीजा सुविधा और चुनिंदा पर्यटक समूहों के लिए वीजा शुल्क में छूट दी जाएगी। निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी में क्षमता निर्माण व आसान वीजा नियम लागू किए जाएंगे।
169 देशों के लिए शुरू हो चुकी ई-वीजा सुविधा
20% की वृद्धि हुई है बौद्ध सर्किट से जुड़े स्थलों पर पर्यटकों में
छोटे शहरों की अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
बौद्ध सर्किट और अन्य धार्मिक स्थलों के विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलने से छोटे शहरों और गांवों की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। युवाओं के लिए गहन कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
पर्यावरण व जैव विविधता पर जोर
पर्यावरण मंत्रालय को 3,412.82 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। यह राशि पिछले बजट से 9 फीसदी अधिक है। बढ़े हुए बजट का उद्देश्य पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण, वन्यजीव सुरक्षा और वन आवरण को बढ़ाने जैसे प्रयासों को गति देना है। ग्रीन इंडिया मिशन के लिए आवंटित 220 करोड़ से वन आवरण बढ़ेगा, वन सुरक्षा होगी और जंगल की आग को रोका जाएगा। जैव विविधता संरक्षण के लिए 10 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
20,000 करोड़ का परमाणु ऊर्जा मिशन
परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के परमाणु ऊर्जा मिशन की घोषणा की गई है। इसके तहत स्वदेशी रूप से विकसित पांच छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर्स का विकास किया जाएगा। इन्हें 2033 तक चालू किया जाएगा। मिशन में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए सिविल दायित्व अधिनियम में संशोधन किए जाएंगे।















