अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर आज पूर्णिया प्रमंडल के जिला मुख्यालय अंतर्गत सुधार गृह में एक भव्य और अनुकरणीय योग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह आयोजन समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार के तत्वावधान में किया गया, जिसमें अखिल बिहारी मंच के प्रदेश और जिला स्तर के पदाधिकारियों व सदस्यों की सक्रिय भागीदारी रही।
इस वर्ष का योग दिवस विशेष रूप से सुधार गृह में निवासरत बच्चों के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य था – योग, ध्यान, मनन और चिंतन के माध्यम से इन बच्चों को मानसिक संतुलन, ऊर्जा, अनुशासन और आत्मबल प्रदान करना, जिससे उनके पुनर्वास की प्रक्रिया को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके।
कार्यक्रम की अध्यक्षता न्यायिक दंडाधिकारी श्री संजय कुमार सरोज ने की। साथ ही सुधार गृह के अधीक्षक श्री धर्मेंद्र कुमार, सहायक श्री अंगद कुमार महतो एवं अन्य कर्मियों की उपस्थिति में कार्यक्रम ने प्रभावी रूप से सकारात्मक वातावरण निर्मित किया। उपस्थित प्रशिक्षकों ने योग के विभिन्न आसनों, प्राणायाम, शांति पाठ और सामूहिक ज्ञान सत्र के माध्यम से बच्चों को प्रेरित किया। इससे पूरा परिसर ऊर्जा और आत्मशांति के वातावरण से भर गया।
✦ श्री संजय कुमार सरोज ने कहा:
“योग केवल शरीर को स्वस्थ रखने का साधन नहीं है, यह मन और आत्मा को भी संतुलन में लाने की प्रक्रिया है। सुधार गृह में रहने वाले बच्चों को योग के माध्यम से आत्मविश्वास, अनुशासन और मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो उनके पुनर्वास की दिशा में एक मजबूत आधार तैयार करती है। हमारा प्रयास है कि यहां स्थायी रूप से एक योग्य योग प्रशिक्षक की नियुक्ति की जाए, ताकि योग एक दैनिक अभ्यास बन सके और बच्चे भीतर से सशक्त बनें।”
इस आयोजन में निम्नलिखित प्रमुख व्यक्ति उपस्थित रहे,डॉ. ज्ञान कुमारी राय – प्रदेश उपाध्यक्ष, अखिल बिहारी मंच,किशोरी बबीता चौधरी – प्रदेश विधि सलाहकार,कपूर चंद महतो – जिला अध्यक्ष,पंडित भागवत झा – जिला सचिवनैना जी, विभा कुमारी, मनीष पासवान, डॉ. के.के. चौधरी, चंदन झा, रामकुमार झा – सदस्य,डॉ. एस. के. सिंह – रिटायर्ड मेडिकल ऑफिसर,रंजन श्रीवास्तव – योग प्रशिक्षक,विकास कुमार – सामाजिक कार्यकर्ताकार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी समाजसेवियों, प्रशिक्षकों और अधिकारियों ने यह संदेश दिया कि योग न केवल शरीर की शक्ति बढ़ाता है, बल्कि मानसिक संतुलन और आत्मशांति का भी माध्यम है। इस प्रकार का आयोजन बच्चों के पुनर्वास और समाज में सकारात्मक पुनःस्थापन की दिशा में एक प्रेरणादायक कदम साबित होगा।
















