कटिहार जिला के मनिहारी अनुमंडल के बघार पंचायत के मेदनीपुर गांव में गंगा के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण कई वार्ड जलमग्न हो गए हैं, जिससे जनजीवन पूरी तरह से प्रभावित हो गया है। गांव के चूल्हे-चौके में पानी घुस जाने से भोजन बनाना असंभव हो गया है। लोग ईंटों पर चारपाई रखकर सोने को मजबूर हैं, वहीं पानी में सांप-बिच्छू और अन्य जलीय जीवों का खतरा लगातार बना हुआ है। इस कारण लोग रातभर जागकर परिवार की सुरक्षा में लगे रहते हैं।
राशन लाने के लिए गांव के लोग जुगाड़ से बनी नावों का सहारा ले रहे हैं, या फिर गले तक पानी में डूबकर बाहर जाने को विवश हैं। गांव में शौचालय की भी कोई सुविधा नहीं है, जिससे हालात और अधिक कठिन हो गए हैं। फसल और चारा डूब जाने से पशुपालकों को भी पशुओं के चारे की कमी का सामना करना पड़ रहा है। सरकारी विद्यालय बाढ़ के कारण बंद हो चुका है, और कई परिवार इसके बरामदे में शरण लिए हुए हैं। ये लोग विद्यालय की चाबी की मांग कर रहे हैं ताकि जिनके घर पूरी तरह डूब चुके हैं, वे विद्यालय में रह सकें।
वार्ड संख्या 02 के निवासी शेख इरशाद ने बताया कि वे और उनके परिवार वाले गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे हैं, खासकर छोटे बच्चों और महिलाओं को लेकर चिंता अधिक है। अब तक कोई अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनकी सुध लेने नहीं आया है और न ही सरकारी नाव मुहैया कराई गई है। गांव से निकलने का कोई सुरक्षित रास्ता नहीं है, हर ओर पानी ही पानी है।
वार्ड 2 के मो. कफील ने बताया कि राशन लाने के लिए पानी में होकर जाना पड़ता है, और वे छोटे बच्चों को इसलिए साथ रखते हैं ताकि वे गलती से गहरे पानी में न चले जाएं। गांव की महिलाओं ने भी बताया कि चूल्हे में पानी घुस जाने के कारण भोजन बनाना संभव नहीं है, इसलिए सरकार से सूखा राशन जल्द से जल्द मुहैया कराने की मांग की जा रही है।
















