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पत्नी-बेटियों का खर्च उठाने तक के पैसे नहीं थे:रणधीर कपूर को छोटे रोल मिले तो 10 साल एक्टिंग नहीं की, 43 साल में अवॉर्ड जीरो

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बॉलीवुड एक्टर रणधीर कपूर 77 साल के हो गए हैं। 15 फरवरी, 1947 को जन्मे रणधीर कपूर ने फिल्म ‘श्री 420’ (1955) में बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट फिल्मी दुनिया में कदम रखा था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में अभिनय किया। डायरेक्शन, प्रोडक्शन में भी उतरे। रणधीर कपूर की अहम फिल्मों में ‘कल आज और कल’, ‘जवानी दीवानी’, ‘रामपुर का लक्ष्मण’ और ‘चाचा भतीजा’ शामिल हैं। फिल्मों में उनका करियर उतार-चढ़ाव भरा रहा।

वो अपने पिता राज कपूर, भाई ऋषि कपूर की तरह स्टारडम की ऊंचाइयां नहीं छू पाए। इनकी निजी जिंदगी भी उथल-पुथल रही। शादी के कुछ सालों बाद ही पत्नी बबीता से अलगाव हो गया और दोनों अलग हो गए, हालांकि इन्होंने तलाक नहीं लिया।

फिल्मी करियर खास न चलने से इन्हें बीवी-बच्चों के खर्चे तक चलाने में दिक्कत होने लगी। बेटी करिश्मा और करीना की स्कूल फीस तक भरने में परेशानी होती थी।

जन्मदिन के मौके पर नजर डालते हैं रणधीर कपूर की लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्सों पर…

रणधीर के सामने रोमांटिक सीन शूट नहीं करते थे राज कपूर

रणधीर कपूर का जन्म 15 फरवरी,1947 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। वो 1920 से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय कपूर खानदान में पैदा हुए। लीजेंडरी फिल्ममेकर और एक्टर पृथ्वीराज कपूर इनके दादा और राज कपूर पिता हैं। ऋषि कपूर और राजीव कपूर इनके भाई थे। इसके अलावा इनकी दो बहनें रीमा और ऋतु हैं।रणधीर जब छोटे थे तो अपने पिता राज कपूर के साथ उनकी फिल्मों की शूटिंग देखने जाया करते थे। ऐसे में जब कोई रोमांटिक सीन की शूटिंग होती थी तो राज कपूर उन्हें पांच रुपए देकर कहते थे- जाओ बाहर कुछ खा लो। दरअसल, उन्हें बेटे के सामने रोमांटिक सीन शूट करने में झिझक होती थी।पिता ने नहीं करने दिया आरके स्टूडियो में काम

ग्रेजुएशन के बाद रणधीर ने राज कपूर से कह दिया कि वो आगे पढ़ाई नहीं करना चाहते बल्कि फिल्मों में काम करना चाहते हैं। रणधीर ने सोचा था कि उन्हें अपने ही आरके स्टूडियो में काम करने का मौका मिल जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

राज कपूर ने उन्हें साफ-साफ कह दिया कि अगर वो फिल्मों में काम करना चाहते हैं तो पहले आरके बैनर के बाहर जाकर काम करके देखें, क्योंकि आरके स्टूडियो के मालिक होने के नाते वो यहां उतना सीख नहीं पाएंगे, जितना उन्हें सीखना चाहिए।

इसके बाद रणधीर ने डायरेक्टर लेख टंडन को असिस्ट कर शुरू किया और उन्होंने बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर 1968 में आई फिल्म ‘झुक गया आसमान’ में काम किया।पिता और दादा को पहली फिल्म में किया डायरेक्ट

1971 में एक्टर के तौर पर रणधीर कपूर ने फिल्म ‘कल आज और कल’ से डेब्यू किया। ये बतौर डायरेक्टर भी उनकी पहली फिल्म थी। इस फिल्म में पिता राज कपूर और दादा पृथ्वीराज कपूर ने भी काम किया।

राज कपूर पहले इस फिल्म में काम नहीं करना चाहते थे; क्योंकि इससे पहले उनकी छवि रोमांटिक हीरो की थी और स्क्रीन पर पिता का रोल करने में वो कंफर्टेबल नहीं थे, लेकिन रणधीर ने बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म में काम करने के लिए आखिरकार उन्हें मना ही लिया।

आरके बैनर के प्रोडक्शन में बनी इस फिल्म को एवरेज सक्सेस मिली थी। इसी फिल्म के सेट पर रणधीर और बबीता की प्रेम कहानी परवान चढ़ी थी।

‘कल आज और कल’ से डेब्यू के बाद रणधीर कपूर की 1972 में बैक टु बैक तीन फिल्में रिलीज हुईं। इनमें से एक फिल्म ‘जीत’ थी, जो MGR और जयललिता की तमिल फिल्म ‘एन अन्नन’ की हिंदी रीमेक थी।

दूसरी फिल्म ‘जवानी दीवानी’ थी, जो कि 1972 की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। वहीं, तीसरी फिल्म ‘रामपुर का लक्ष्मण’ थी, जिसमें रणधीर कपूर के अलावा शत्रुघ्न सिन्हा, रेखा भी मुख्य भूमिका में थे। फिल्म के डायरेक्टर मनमोहन देसाई थे और इसके म्यूजिक डायरेक्टर आरडी बर्मन थे।

जीत की सक्सेस के बाद रणधीर कपूर ने MGR की एक और हिट फिल्म के हिंदी रीमेक में काम किया जिसका नाम ‘रिक्शावाला’ था। ये 1973 में रिलीज हुई थी। इसमें उनके अपोजिट नीतू सिंह थीं। फिल्म के डायरेक्टर के. शंकर थे।

फिल्म फ्लॉप रही थी, लेकिन इसके गाने पॉपुलर हुए। इसके एक साल बाद 1974 में रणधीर ने फिल्म ‘हमराही’ और ‘हाथ की सफाई’ जैसी हिट फिल्मों में काम किया।

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