मक्का उत्पादक किसानों को इस वर्ष मक्के के बीज का बढ़ा भाव,मजदूरों की किल्लत व आखरी मौसम बरसी बारिश ने परेशान कर दिया है। गत वर्ष जहां मक्के की बोआई समाप्त हो गई थी। वहीं आज भी मक्के की बोआई की जा रही है। हालांकि अनुमंडल कृषि अधिकारी की माने तो दिसंबर माह तक मक्के की बोआई की जा सकती है।
मक्का उत्पादक किसान हुसैन अली,सत्यनारायण मंडल,अमित कुमार,मंसूर आलम आदि किसानों ने बताया कि आगात मक्का की बोआई करने से आंधी बारिश से बचाव के साथ साथ बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। लेकिन इस वर्ष बारिश मौसम के अंत मे झमाझम बारिश एवं मजदूरों की किल्लत से धान की कटाई नहीं होने व खेतों मे जल जमाव व नमी की वजह से मक्के की बोआई मे कुछ लेट हो गया है। खेती मे मशीनीकरण के बढ़ते उपयोग से कुछ राहत तो मिली है। परन्तु खेती किसानी मे मजदूरों का होना अति आवश्यक है। और समय पर मजदूर के नहीं उपलब्ध होने से कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहीं गत वर्षों की तुलना में इस वर्ष मक्के की बीजों में बेतहाशा वृद्धि भी किसानों को काफी परेशान कर दिया है। अनुमंडल कृषि पदाधिकारी रंजीत कुमार झा ने बताया कि मक्के की बोआई मे लेट नहीं हुआ है। इसमें ध्यान रखना है,की पौधे की स्लिकिन स्टेज बनने का समय ठंड के पहले या ठंड के बाद निकले। वहीं मक्के की बोआई नवंबर माह से 20 दिसंबर तक हो जाने से फसल ठीक रहता है। बता दें कि हसनगंज प्रखंड क्षेत्र 1117 हेक्टर मक्का बोआई का लक्ष्य रखा गया है। जिसमें अब तक करीब 70 से 80 प्रतिशत बोआई को पूरा कर लिया गया है।
















