घर आंगन मे चहचहाने वाली नन्ही गौरैया की संख्या दिन ब दिन कम हो रही है। झुंड में दिखने वाली नन्ही गौरैया अब बिड़ले ही नजर आ रही है। घटते कच्चे छप्पर वाली फूस घर व हरियाली के साथ इनका अस्तित्व भी खतरे में है। गौरैया का बचाव पर्यावरण के हित में है। गौरैया का संरक्षण मनुष्य व किसानों के हित मे जुड़ा हुआ है। बिहार सरकार ने भी इस नन्ही सी चिड़ियां गौरैया को राजकीय पक्षी घोषित किया है।जबकि 20 मार्च को पूरे विश्व मे गौरैया दिवस मनाया गया और गौरैया के संरक्षण को लेकर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं जिले के कोढ़ा प्रखंड के राजवाड़ा पंचायत की एल एल बी की छात्रा मयूरी रानी ने गौरैया संरक्षण के लिए अनोखी पहल की है। उन्होंने अपने घर मे गौरैया के घोंसले के लिए बांस व लकड़ी का घोंसला बनवाया है,ताकि इस नन्ही सी चिड़िया गौरैया को घोंसले की कमी महसूस ना हो। वे और इनके घर के सदस्य नियमित रूप से गौरैया के लिए दाना पानी देते रहते हैं। उसकी यह पहल सार्थक साबित हुई नतीजा है,की घर आंगन से गुम हो रही नन्ही गौरैया दुबारा इन घोंसलों मे अपना बसेरा बनाने लगी है। कई गौरैया इन बांस व लकड़ी के घोंसले मे अपना बसेरा बना चुकी है।
इस संदर्भ मे छात्रा मयूरी रानी ने बताया कि कोराना काल मे लगे लॉकडाउन के समय वो अपने घर को गौरैया संरक्षण केंद्र बना दिया है। कहा कि अब घर मे बने घोंसले मे की वजह से घर आंगन मे गौरैया की चहक गूंजने लगी है। उनका कहना है,की लोग अगर यह छोटा सा प्रयास करे तक इस नन्ही से पक्षी की जान बच सकती है।
















