पूर्णिया:टूटे हुए वादे के लिए ना तो कोई कानून है और न ही हर असफल रिश्ते को अपराध ठहराया जा सकता है । हाल ही में उड़ीसा उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है की आपसी सहमति से बना संबंध यदि विवाह में परिणतनहीं हो पता है तो इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया जा सकता है । सुनवाही के दौरान महिला द्वारा दायर दुष्कर्म के आरोप को न्यायालय ने खारिज कर दिया केंद्र के सदस्य अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक ने बताया की
पूर्णिया में भी श्रीनगर थाना के एक शादीशुदा पति पर रानीपतरा की एक महिला ने आरोप लगाया कि कि वह शादी का प्रलोभन देकर उसका यौन शोषण करता रहा है । और अब वह शादी से इनकार कर रहा है । मामला पुलिस परिवार प्रारंभ केंद्र में आया जहां यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला से पूछा गया की क्या तुमने उक्त युवक से शादी की है इस पर वह बताइए कि 8 महीना पहले वह कोर्ट मैरिज की है ।जब उसे प्रमाण माना गया तो वह कहीं कि उसके पति ने शादी का प्रमाण छीन कर फाड़ दिया है । वहीं दूसरी ओर श्रीनगर थाना की पत्नी से जब प्रमाण मांगा गया तो उसने अपनी शादी से संबंधित कई एक फोटोग्राफ प्रस्तुत की जिसमें वह दुल्हन की लिवास में थी । वही श्रीनगर वाले युवक पर शादी का दावा करने वाली युवती के द्वारा केंद्र में दो आवेदन दिया गया । दोनों ही आवेदन में काफी भिन्नता थी । एक आवेदन में 8 महीना पहले शादी की बात लिखी गई थी ।दूसरे आवेदन में 2015 में शादी की बात लिखी गई थी । एक आवेदन में लेनदेन से संबंधित कोई भी चर्चा नहीं थी। । जबकि दूसरी आवेदन में इस बात का उल्लेख किया गया था की लड़का ने उससे लाखों रुपया लिया तथा उसका लगातार यौन शोषण भी करता रहा ।
केंद्र ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के फैसले का अनुसरण करते हुए उस कैस को स्थगित कर दिया । दोनों पक्षों को सलाह दिया कीकोई पक्ष यदि इस फैसले से सहमत नहीं है तो वह थाना अथवा न्यायालय की शरण ले सकता है ।
















