सितंबर महीने के लास्ट में एक बार फिर गंगा और कोसी नदी अपना रौद्र रूप दिख रही है, जिस कारण कटिहार जिला के बरारी प्रखंड में एक बार फिर बाढ़ का तांडव देखने को मिल रहा है, बाढ़ का पानी कई पंचायत में प्रवेश कर चुकी है। गंगा नदी,कोसी नदी और कारी कोसी नदी एक बार फिर उफान पर है, जिस कारण प्रखंड क्षेत्र के वैसागोविंदपुर पंचायत,कांतनगर पंचायत,मोहना चांदपुर पंचायत,गुरुमेला पंचायत, शिशिया पंचायत,विशनपुर पंचायत और उचला पंचायत के निचला इलाका में बाढ़ का पानी प्रवेश कर चुका है।कई लोगों के घर के छप्पर तक पानी में डूब चुकी है,जिस कारण लोग अपने घर और गांव को छोड़कर ऊंचे स्थान की ओर पलायन करना शुरू कर दिए हैं,लोगों की जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुकी है,बाढ़ के पानी में सरकारी नल,चापाकल डूब चुकी है।लोगों को पीने के पानी,स्वास्थ्य सुविधा और खाने के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। वहीं एक बुजुर्ग महिला की तबीयत बिगड़ जाने के कारण लोग महिला को खाट पर रखकर स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाने को मजबूर है। जनकारी हो कि वैसागोविंदपुर पंचायत के वार्ड संख्या 13 से लेकर 16 तक जलमग्न हो चुकी है,नदिया इतनी उफान पर है,कि प्रत्येक दिन लगभग एक से डेढ़ फीट तक बाढ़ का पानी गांव में बढ़ रहा है।वहीं पंचायत समिति सदस्य शंकर कुमार ने बताया कि,बुजुर्ग महिला लोग को आने जाने का साधन नहीं है। तबीयत बिगड़ने पर किसी तरह से कंधे पर उठाकर या खटिया पर रखकर ऊंचे स्थान पर ले जाना पड़ रहा है,गांव के घरों में पानी प्रवेश हो जाने के कारण 5/6 टाइम से खाना पीना बंद है, लेकिन अभी तक कोई भी पदाधिकारी देखने तक नहीं पहुंचे हैं,सभी छोटे से बड़े पदाधिकारी आगामी 26 सितंबर को बरारी के लक्ष्मीपुर में होने वाली सीएम के प्रोग्राम में स्वागत और सेवा सत्कार करने के लिए लगे हुए हैं, हम लोगों को देखने वाला कोई नहीं है। वहीं वार्ड मेंबर संझला टुडू का कहना हुआ,की 26 सितंबर को होने वाले नीतीश कुमार के प्रोग्राम में बाढ़ से जुड़ी समस्या को लेकर बड़ी संख्या में पहुंचकर सीएम नीतीश कुमार से शिकायत करेंगे,क्योंकि बाढ़ में ना तो कोई जनप्रतिनिधि और ना ही कोई पदाधिकारी सूद लेने पहुंचे हैं। ना ही सरकारी नाव मिला है । स्थानीय जनप्रतिनिधि और पीड़ित परिवारों का जिला प्रशासन से राशन,स्वास्थ्य सेवाएं और मवेशी का चारा भूसा का मांग किया है।
मनिहारी नगर पंचायत के सिग्नल टोला में बाढ़ से प्रभावित लोग रेलवे पटरी के किनारे अस्थाई आवास बनाकर जीवनयापन करने को मजबूर, प्रशासन से राहत की मांग
















