स्थानीय कृषि को समर्थन देने और सामुदायिक भावना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, मनिहारी के एक युवा अंशु आचार्य ने महावीर मंदिर ट्रस्ट को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने आग्रह किया है कि मंदिर स्थानीय स्तर पर, विशेषकर बिहार से उत्पादित देसी घी का उपयोग करे।
यह अपील बिहार के किसानों और डेयरी उत्पादकों को समर्थन देने और राज्य की स्थानीय उपज को बढ़ावा देने की गहरी इच्छा से प्रेरित है। महावीर मंदिर, जो पटना का एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल है, बड़े पैमाने पर प्रसाद तैयार करने के लिए जाना जाता है, जिसमें शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल होता है। फिलहाल, इस घी का अधिकांश हिस्सा कर्नाटक से आता है। युवा का मानना है कि बिहार का स्थानीय घी, जो शुद्धता और गुणवत्ता के लिए प्रसिद्ध है, मंदिर की आवश्यकताओं को पूरा करते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देगा।
पत्र में कुछ प्रमुख बिंदुओं पर जोर दिया गया है। सबसे पहले, उन्होंने बताया कि बिहार के किसान उच्च गुणवत्ता वाला देसी घी बनाते हैं और यदि मंदिर स्थानीय घी खरीदता है, तो इन किसानों को एक स्थिर आय स्रोत मिल सकता है। इससे राज्य के कृषि क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी। दूसरा, उन्होंने कहा कि स्थानीय उत्पाद खरीदने से परिवहन लागत में कमी आएगी और पर्यावरणीय प्रभाव भी घटेगा, क्योंकि घी को लंबे सफर से लाने की जरूरत नहीं होगी।
युवक ने पत्र में आर्थिक पहलू भी उठाया है। बिहार सरकार स्थानीय उत्पादन और खपत को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाओं पर काम कर रही है, और मंदिर का स्थानीय किसानों से घी खरीदना इस पहल के अनुरूप होगा। इससे राज्य के कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी।
युवा और राज्य के अन्य लोग उम्मीद कर रहे हैं कि महावीर मंदिर ट्रस्ट इस अनुरोध पर गंभीरता से विचार करेगा। उनका मानना है कि यदि मंदिर ऐसा कदम उठाता है, तो यह एक मिसाल कायम करेगा, जिससे राज्य के अन्य संस्थान भी प्रेरित होंगे और बिहार की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा। यह सिर्फ घी की खरीदारी नहीं, बल्कि स्थानीय परंपराओं के संरक्षण और स्थायी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
अब सभी की निगाहें मंदिर अधिकारियों की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं, क्योंकि यह अपील मनिहारी और बिहार के लोगों के बीच तेजी से चर्चा का विषय बन गई है।
















