यूं तो आसमान मे चांद हर महीने दिखती है। परंतु रविवार की रात उगने वाली चांद बेहद खास थी। जिसके उगने का इंतजार अक्सर सुहागिनों को बेसब्री के साथ रहता है। रविवार को हसनगंज प्रखंड सहित राजवाड़ा व राैतारा पंचायत मे करवाचौथ का व्रत धूम धाम के साथ मनाया गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देव और दानवों के युद्ध में देवताओं की हार हुई थी। जिसके फलस्वरूप इस संकट से उबरने के लिए ब्रह्मदेव के कथानुसार सभी देव पत्नियां कार्तिक मास के चतुर्थी को व्रत रख विजय की प्रार्थना की थी। जिसके परिणामस्वरूप देवताओं को युद्ध मे विजय प्राप्त हुआ था। और सभी देव पत्नियां ने अपना व्रत खोला था। वहीं एक मान्यता यह भी है कि भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी को करवाचौथ व्रत का कथा सुनाते हुए कहा था,की पूर्ण श्रद्धा और विधि पूर्वक इस व्रत को करने से समस्त दुख दूर हो जाते हैं। और सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है।भगवान श्री कृष्ण की आज्ञा मानकर द्रोपदी ने भी करवाचौथ का व्रत किया था। इसी मान्यताओं को मानते हुए आज भी सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु व सुख समृद्धि को लेकर निर्जला करवाचौथ का कथा सुनती और व्रत करती आ रही है। और चांद को अर्घ्य देने के उपरांत अपना निर्जला व्रत खोलती है।