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सीरिया में बदले हालातों के बीच भारत के लिए चुनौती, नए सिरे से रिश्तों को गढ़ना होगा

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सीरिया की सत्ता से रविवार को बेदखल किए गए राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ रिश्तों को हाल के महीनों में भारत ने मजबूत बनाने की कोशिश तेज की थी। इस कोशिश के तहत आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग एक अहम एजेंडा था। दोनों देश अलकायदा व आईएस जैसे संगठनों के प्रसार पर लगाम लगाने को लेकर संपर्क में थे। अब इन्हीं संगठनों से जुड़े आतंकी संगठनों के हाथ में सीरिया की सत्ता जाने का खतरा है।
साफ है कि पश्चिम एशिया में भारतीय हितों के हिसाब से नए रिश्तों को गढ़ने में जुटे भारतीय कूटनीतिकारों को सीरिया में काफी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। करीब साढ़े तीन वर्ष पहले अफगानिस्तान में और तीन महीने पहले बांग्लादेश में सत्ता बदलाव की चुनौतियों से जूझ रही भारतीय कूटनीति को अब सीरिया में हुए सत्ता परिवर्तन के साथ तालमेल बिठाना होगा।
भारत ने संबंध मजबूत बनाने का किया था प्रयास
अमेरिका और इसके सहयोगी देशों के निशाने पर रहने वाले सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के साथ हाल के वर्षों में भारत अपने संबंधों को मजबूत बनाने की कोशिश में था। 29 नवंबर, 2024 को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच विमर्श हुआ था, जिसमें द्विपक्षीय रिश्तों के सभी आयामों पर चर्चा हुई थी। भारत की तरफ से सीरिया को दी जाने वाली वार्षिक मदद बढ़ाने की तैयारी थी।
हाल में भारत ने असद सरकार को फॉर्मास्यूटिकल्स व हेल्थ से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में मदद की पेशकश की थी। राष्ट्रपति असद ने स्वयं भारतीय कंपनियों को सीरिया में निवेश के लिए आमंत्रित किया था। विदेश मंत्रालय के कूटनीतिक सूत्रों के मुताबिक, अभी दमिश्क के हालात काफी अस्थिर हैं। सत्ता हस्तांतरित करने की प्रक्रिया वहां जटिल और लंबी हो सकती है, ऐसे में भारत अपने हितों को लेकर प्रतीक्षा करने की नीति पर रहेगा।
भारत के लिए बढ़ी चिंता
राष्ट्रपति असद के बाद सीरिया में अतिवादी समूहों के कब्जा जमाने की संभावना से भारत चिंतित है। नवंबर में भारत व सीरिया के बीच बातचीत में आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग एक बड़ा मुद्दा था। विडंबना यह है कि जिन आतंकी संगठनों पर लगाम लागने के उद्देश्य से भारतीय विदेश मंत्रालय असद सरकार के अधिकारियों से बात कर रहा था, अब उन्हीं संगठनों का सीरिया पर राज कायम होने का खतरा है। भारत वैश्विक आतंकवाद का हमेशा से विरोधी है।
पूर्व में जब इस्लामिक संगठन ने सीरिया में पैर पसारा था, तब इसमें कई भारतीयों के भी शामिल होने की खबर सामने आई थी। असद को सत्ता से बेदखल करने के लिए आंतकी संगठन हयात ताहिर अल-शाम को जिम्मेदार माना जा रहा है, जो इस्लामिक संगठन (आईएस) का करीबी संगठन है। सीरिया में सत्ता के लिए संभावित लड़ाई इन संगठनों को मजबूत बना सकती है।
पीएम मोदी ने की थी अपील
बताते चलें कि सीरिया ने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में हमेशा भारत की मदद करने की बात कही है। वर्ष 2105 में तो सीरिया के नई दिल्ली में राजदूत रियाद कमेल अबब्बास ने आतंकियों के विरुद्ध लड़ाई में भारत से मदद भी मांगी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने जब अंतरराष्ट्रीय बिरादरी से अच्छे और बुरे आतंकियों के बीच विभेद नहीं करने की अपील की थी, तब सीरिया ने इसका समर्थन किया था।

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