दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन आज प्रयागराज में शुरू होने जा रहा है. सनातन आस्था के महापर्व महाकुंभ 2025 की शुरुआत होने जा रही है. करीब डेढ़ महीने तक चलने वाले इस आयोजन में देश-दुनिया से करीब 35 करोड़ श्रद्धालुओं के प्रयागराज आने का अनुमान है. यह श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में अमृत स्नान करेंगे. इसके साथ ही लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर महाकुंभ की प्राचीन परंपरा कल्पवास का भी निर्वहन करेंगे.
महाकुंभ में शाही स्नान कब?
क्या है पौराणिक मान्यता?
पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रद्धालु एक माह तक नियमपूर्वक संगम तट पर कल्पवास करेंगे. इसके लिए सीएम योगी के मार्गदर्शन में प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने विशेष इंतजाम किए हैं. कल्पवास की शुरुआत आज पौष पूर्णिमा से होगी.
महाकुंभ सनातन आस्था का सबसे बड़ा आयोजन होने के साथ बहुत सी सनातन परंपराओं का वाहक भी है. इसमें से महाकुंभ की एक महत्वपूर्ण परंपरा है संगम तट पर कल्पवास करना. शास्त्रीय मान्यता के अनुसार कल्पवास, पौष पूर्णिमा की से शुरू होकर माघ पूर्णिमा तक पूरे एक माह तक किया जाता है. इस महाकुंभ में कल्पवास आज से शुरू होकर 12 फरवरी तक संगम तट पर किया जाएगा.
शास्त्रों के अनुसार कल्पवास में श्रद्धालु नियमपूर्वक, संकल्पपूर्वक एक माह तक संगम तट पर निवास करते हैं. कल्पवास के दौरान श्रद्धालु तीनों काल गंगा स्नान कर, जप, तप, ध्यान,पूजन और सत्संग करते हैं. महाकुंभ 2025 में करीब 10 लाख श्रद्धालुओं के कल्पवास करने का अनुमान है.
1.6 लाख टेंट की व्यवस्था
महाकुंभ की विशेष परंपरा कल्पवास का निर्वहन करने के लिए प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने सीएम योगी की प्रेरणा से सभी जरूरी इंतजाम किए हैं. मेला क्षेत्र में गंगा जी के तट पर झूंसी से फाफामऊ तक लगभग 1.6 लाख टेंट, कल्पवासियों के लिए लगवाए गए हैं.
7000 करोड़ रुपये का बजट
उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने कहा कि संगम (गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों) के आसपास होने वाले 45 दिवसीय इस महा आयोजन में 35 करोड़ श्रद्धालुओं के शामिल होने की उम्मीद है. सिंह ने कहा कि मौनी अमावस्या के दिन अनुमानित 4-5 करोड़ भक्तों के प्रयागराज में पहुंचने और स्नान में भाग लेने की उम्मीद है.
शाही स्नान के दिन वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं: सिंह
मुख्य सचिव ने कहा कि छह महत्वपूर्ण (प्रमुख स्नान) तिथियां हैं जिन पर अधिक श्रद्धालु और अधिक भीड़ होगी. इसलिए, उन दिनों, एहतियात के तौर पर, राज्य सरकार किसी को भी कोई वीआईपी प्रोटोकॉल नहीं देती है.
उन्होंने कहा, “इसलिए, हम सभी वीवीआईपी से अनुरोध करते हैं कि वे उन छह दिनों में न आएं. हम उन्हें उन दिनों आमंत्रित करने का प्रयास करते हैं, जो प्रमुख स्नान के दिन नहीं होते हैं.’
3000 से अधिक कैमरे लगाए
महाकुंभ के डिजिटल पहलू पर टिप्पणी करते हुए मुख्य सचिव ने कहा, ‘पिछले कुंभ से पहले हमने वहां एकीकृत नियंत्रण और कमान केंद्र (आईसीसीसी) स्थापित किए थे. इस बार इसे और मजबूत किया गया है और पूरे कुंभ क्षेत्र में 3,000 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं.”
महाकुंभ मेले में विदेशी नागरिकों और राजदूतों के दौरे के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘पिछले कुंभ में 55-60 देशों से लोग आए थे, क्योंकि कुंभ शुरू होने से ठीक पहले वाराणसी में प्रवासी भारतीय दिवस का कार्यक्रम था, इसलिए वहां से बहुत सारे लोग आए थे. इसके अलावा एक दिन हम दूतावासों के दौरे का आयोजन करते हैं. वह दौरा 30 जनवरी को आयोजित किया जा रहा है.’
















