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महायुति की प्रचंड जीत के बाद भी ऑल इज नॉट वेल! फडणवीस से क्यों नाराज दिख रही है एकनाथ शिंदे की शिवसेना?

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महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड जीत के बाद दावा किया जा रहा है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में ‘ऑल इल नॉट वेल’ की स्थिति है। राज्य में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के पालक मंत्री के मुद्दे पर नाराज होने की बातें सामने आई थीं। यह विवाद अभी शिवसेना बनाम एनसीपी (अजित पवार) होता जा रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उच्च पदस्थ सूत्रों के जरिए यह दावा किया गया है मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा पिछली एकनाथ शिंदे सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को रद्द करने के कदम से महायुति गठबंधन के सहयोगी भाजपा और शिवसेना के बीच संबंधों में तनाव आ गया है।मानदंडों के उल्लंघन का आरोप
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद फडणवीस ने टेंडर प्रक्रिया में मानदंडों के संदिग्ध उल्लंघन के कारण परिवहन विभाग द्वारा 1310 सार्वजनिक परिवहन बसों को निजी खिलाड़ियों से किराए पर लेने के 2000 करोड़ रुपये के फैसले की जांच के आदेश दिए थे। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दिलचस्प बात यह है कि जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि अधिकारियों ने उन खास निजी खिलाड़ियों को तरजीह दी थी, जिनसे उन्होंने बसें किराए पर ली थीं। फडणवीस ने कथित तौर पर पहले की टेंडर प्रक्रिया को रद्द करने और सार्वजनिक परिवहन बसों के लिए नई टेंडर प्रक्रिया जारी करने की मांग की है।फडणवीस ने दिए हैं जांच के आदेश
इसके अलावा फडणवीस ने शिंदे सरकार द्वारा 12,000 करोड़ रुपये की 900 एंबुलेंस और चिकित्सा उपकरण खरीदने के फैसले की भी जांच के आदेश दिए हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के तत्कालीन मंत्री और शिवसेना विधायक तानाजी सावंत कथित तौर पर एंबुलेंस की खरीद से जुड़े घोटाले में शामिल थे। यहां भी, कुछ ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं के पक्ष में निविदा शर्तों में फेरबदल किया गया था। इसके अलावा, परियोजनाओं की लागत 9000 करोड़ रुपये से कई गुना बढ़ाकर 12000 करोड़ रुपये तक पहुंचा दी गई। सूत्रों ने आगे बताया कि फडणवीस ने स्कूली छात्रों के लिए वर्दी खरीदने के पिछली सरकार के फैसले की भी जांच के आदेश दिए हैं। इससे पहले, शिवसेना विधायक और तत्कालीन स्कूली शिक्षा मंत्री दीपक केसरकर ने स्कूली वर्दी खरीदने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी नियुक्त की थी।पालक मंत्री को लेकर उभरे मतभेद
इसके अलावा राज्य में संरक्षक मंत्रियों की नियुक्ति ने शिवसेना और भाजपा के बीच संबंधों को और खराब कर दिया है। शिवसेना चाहती थी कि स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे और कैबिनेट मंत्री भरत गोगावाले को क्रमशः नासिक और रायगढ़ जिलों का संरक्षक मंत्री नियुक्त किया जाए। लेकिन फडणवीस ने मांग ठुकराते हुए भाजपा मंत्री गिरीश महाजन को नासिक संरक्षक मंत्री और एनसीपी मंत्री अदिति तटकरे को रायगढ़ संरक्षक मंत्री नियुक्त किया। शिंदे द्वारा इस निर्णय पर नाराजगी जताए जाने के बाद फडणवीस ने दोनों संरक्षक मंत्रियों की नियुक्तियों को निलंबित कर दिया। इससे पहले शिंदे गृह मंत्रालय न दिए जाने से नाखुश थे, जिसके कारण शपथ ग्रहण समारोह में देरी हुई।

बयानबाजी भी हो गई है शुरू
पालक मंत्री को लेकर जिस तरह का विवाद सामने आया है उसके बाद एमवीए नेता भी चुटकी ले रहे हैं। शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के सांसद अमोल कोल्हे ने तो यहां तक कह दिया है कि शिंदे की शिवसेना में फूट पड़ चुकी है। राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यही वजह है शिंदे थोड़े अलग अंदाज में दिख रहे हैं। शिवसेना उद्धव ठाकरे से हुई मुलाकात के बाद से असहज है। शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना ने प्रस्ताव पास करके मांग की है कि उद्धव ठाकरे को बाला साहेब स्मारक ट्रस्ट के अध्यक्ष से हटाया जाए। इतना ही नहीं हाल ही में शिंदे ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्‌डा को पत्र लिखकर दिल्ली चुनावों में समर्थन का ऐलान किया है। इन कदमों को फडणवीस और शिंदे के बीच में आए विश्वास की कमी के तौर पर देखा जा रहा है।

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