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पूर्णिया व बधा बॉर्डर पर 14 अगस्त की रात को होती है आज़ादी की जश्न की शुरुआत – अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक”

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समाजसेवी अधिवक्ता दिलीप कुमार दीपक एक बयान जारी कर कहा है कि पूरे हिंदुस्तान में स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है ।लेकिन पूर्णिया एवं बधा बॉर्डर इन दो स्थानों पर 14 अगस्त की रात्रि में पूरे देश में
12:01 में झंडोतोलन का कार्यक्रम किया जाता है । जिसकी चर्चा पूरे हिंदुस्तान में होती है ।इसलिए 14 अगस्त की रात्रि के इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय पर्व घोषित किया जाए । यह मांग अनेकों बार उठाई जा चुकी है ।उन्होंने कहा पूर्णिया विधायक विजय खेमका भी इस संबंध में विधानसभा में भी आवाज उठा चुके हैं । किंतु आज तक पूर्णिया की इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय पर्व घोषित नहीं किया गया । उन्होंने कहा की 14 अगस्त 1947 ई को पूर्णिया के स्वतंत्रता सेनानी अधिवक्ता रामेश्वर कुमार सिंह ने पहली बार यहां झंडा फहराया था उसके बाद से लगातार यहां झंडा फहराने का सिलसिला 14 अगस्त की रात्रि जारी है पुरानी स्वतंत्रता सेनानियों के मुख से यह बात सुनने को मिलती रही की 14 अगस्त 47 की रात्रि में कुछ स्वतंत्रता सेनानी झंडा चौक पर शतरंज और ताश खेल रहे थे इस समय रात्रि के 12:00 बजे मानिक बाबू के रेडियो दुकान में जहां समाचार बज रहा था वहां से अचानक यह घोषणा हुई । की अंग्रेजों ने भारत को आजाद कर दिया है इतना सुनते के साथ सभी स्वतंत्रता सेनानियों ने तुरंत ही पूर्णिया झंडा चौक पर झंडा फहराने का काम किया उतनी रात में अचानक गांगुली पारा बंगाली टोला की महिलाएं अपने-अपने घरों से शंख फुंकते आरती की थाल लेकर वहां पहुंच गए और उसे कार्यक्रम में सम्मिलित हो गए । तभी से इस स्थान पर आज तक झंडा फहराने का सिलसिला जारी है स्वतंत्रता सेनानी रामेश्वर बाबू के बाद आजादी के बाद हुए चुनाव में प्रथम बार विजई कमलदेव नारायण सिंहा जो खुद भी स्वतंत्रता सेनानी थे उन्होंने झंडा फहराना शुरू किया कालांतर में राम रतन शाह ख्याली लालसा जय सिंह पटेल डॉक्टर नरसिंह नारायण सिंह सुदेश कुमार सिंह रंजीत कुमार सा दिलीप कुमार दीपक रंजन सिंह स्नेही जी स्नेही जी के बाद उनके पुत्र दिनकर स्नेही इत्यादि ने यहां झंडा फहराने का काम कियाहै । वर्तमान समय में पिछले कई वर्षों से स्वर्गीय रामेश्वर बाबू का पोता विपुल सिंह यहां झंडा फहरा रहे हैं। परंतु दुख का विषय है कितने ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण इस कार्यक्रम को जो अर्ध रात्रि में मनाया जाता है उसे अब तक राष्ट्रीय पर्व का दर्जा नहीं दिया जा सका है ।

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